डायरी जो ज़ुबान होती है दिल की,
कह देती है बहुत कुछ बिन कहे ही,
सोचा मैने भी
लिख डालू मै भी
कुछ बातें जो न कह पाऊँगी
कभी तुमसे
हाँ कभी भी
शायद तुम भी कभी
अकेले में सोच रहे होंगे
क्या कहना था मुझे
शायद न पढ़ पाओगे तुम कभी
मेरी तनहाई,मेरी बेचैनी
न ही पढ़ पाओगे
मुझे क्या चाहिये तुमसे
क्या तुम दे पाये।
बीते दिनो का लेखा जोखा सभी कुछ
न लिख पाऊँ मगर
लिख ही दूँगी वे जरूरी बातें
जो मुझे तुमसे कहनी थी।
Thursday, November 19, 2009
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13 comments:
rachanaa to sundar hai !!par aap hain kon rekhaji???
बीते दिनो का लेखा जोखा सभी कुछ
न लिख पाऊँ मगर
लिख ही दूँगी वे जरूरी बातें
जो मुझे तुमसे कहनी थी।
-सुन्दर!! लिख डालिये!!
good poem,keep writing,blog jagat mey aapka hardik swagat hai ,
sasneh ,
dr.bhoopendra singh
jeevansandarbh.blogspot.com
सुंदर कविता !
शुभ मंगल !
जरुर लिखिए ...इन्तजार रहेगा ...!!
स्वागत है इस बेहतरीन रचना के साथ
बहुत खूबसूरत लिखा है आपने...मुबारक..स्वागत है आपका
ब्ळोग की दुनिया में
सादर
चन्दर मेहेर
lifemazedar.blogspot.com
अगले पन्ने की प्रतीक्षा है।
नियमित और सार्थक लेखन के लिए शुभकामनाएँ।
______________
वर्ड वेरिफिकेशन क्यों लगा रखा है?
स्वागत है
---- चुटकी----
राहुल थके
प्रियंका ने
चलाई कार,
अब तो
यह भी है
टीवी लायक
समाचार।
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें
कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये
झांक लेते तुम अगर भीगे नयन में,
जान लेते पीर मन की प्यार मन का ।
आपने चंद लाइनों में ही बहुत कुछ लिख दिया.. लिखने को कुछ और भी हो तो लिख डालिए.. बेकरारी का बहुत खूबसूरत बयान है ये.. लाजवाब
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